मध्यप्रदेशराज्य

मप्र एटीएस की जांच में बड़ा खुलासा

साइबर क्राइम के जरिए हो रही टेरर फंडिंग!

भोपाल । मप्र एटीएस की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। साइबर क्राइम के लिए इस्तेमाल किए जा रहे बैंक खातों से टेरर फंडिंग के सबूत मिले हैं। इन खातों का इस्तेमाल कर उत्तर भारत के कई राज्यों से बड़ी मात्रा में रकम खाड़ी देशों में भेजी जा रही थी। इस मामले में एटीएस और साइबर सेल ने जबलपुर और सतना से साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे बैंक खातों को सीज किया था। इसी सिलसिले में एटीएस की टीम पूछताछ के लिए गुरुग्राम पहुंची थी। पूछताछ के दौरान बिहार निवासी हिमांशु कुमार ने मंजिल से कूदकर जान दे दी थी। वह मप्र में टेरर फंडिंग और साइबर क्राइम में शामिल 6 आरोपियों में से एक था। इस मामले में एटीएस टीम के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है। साथ ही टीम के 9 सदस्यों को सस्पेंड कर दिया गया है। एमपी एटीएस की जांच में खुलासा हुआ है कि साइबर अपराधियों के आतंकियों से कनेक्शन मिले हैं। साइबर क्राइम में इस्तेमाल किए गए खातों से टेरर फंडिंग के सबूत जुड़े हैं। टेरर फंडिंग के लिंक सतना, जबलपुर समेत देश के कई राज्यों से जुड़े पाए गए हैं। उत्तर भारत के कई राज्यों और मप्र में डोनेशन और अन्य माध्यमों से टेरर फंडिंग के लिए बड़ी मात्रा में धन जुटाया जा रहा है। अलग-अलग बैंक खातों के जरिए खाड़ी देशों में पैसा भेजा जा रहा है। इस्तेमाल किए गए बैंक खातों को साइबर अपराधी खरीद लेते हैं। यह पैसा शेल कंपनियों और अन्य माध्यमों से टेरर फंडिंग के लिए खाड़ी देशों में भेजा जाता है। एटीएस और साइबर सेल की जांच में पता चला कि बैंक खातों की खरीद-फरोख्त और उनमें संदिग्ध लेनदेन के लिंक हरियाणा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से मिले हैं।

हर रोज 60 करोड़ की लूट
भारत में साइबर क्राइम की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ये स्कैमर्स लगातार नई-नई तरकीबें खोजकर लोगों की गाढ़ी कमाई को ठगने में लगे हुए हैं। यही वजह है कि डिजिटल अरेस्ट जैसे ऑनलाइन फ्राड के मामले तेजी से बढ़े हैं। एक फोन कॉल या एसएमएस से लोगों के बैंक अकाउंट मिनटों में खाली हो जाते हैं। ये स्कैमर्स लोगों को कॉल या मैसेज के जरिए उनकी निजी जानकारी चुराकर उनके साथ ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं। इस तरह की ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार भी कई कदम उठा रही है। कॉल्स से फ्राड होने के मामलों में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए टेलीकॉम रेगुलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई ने लोगों को सावधान करते हुए एक अलर्ट जारी किया है। ट्राई ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लोगों को एक नए कॉल स्पैम के बारे में जानकारी दी है। इनमें मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए कहा जा रहा है। ट्राई ने बताया कि स्कैमर्स लोगों को उनके नेटवर्क को बंद करने की धमकी देकर उनसे पैसे मांग रहे हैं। कॉल करके यूजर को नियमों को तोडऩे की वजह से उनके नेटवर्क को बंद करने की धमकी देकर उनसे मोटी रकम चुकाने को कहते हैं। लेकिन ऐसी कोई कॉल ट्राई की तरफ से नहीं की जा रही हैं। यदि लोगों को इस तरह की कोई भी कॉल आती है तो उन्हें इसकी शिकायत तुरंत संचार साथी पोर्टल पर करनी चाहिए।

डिजिटल ठगी में 130 फीसदी की बढ़ोतरी
मप्र साइबर ठगों के लगातार निशाने पर है। साइबर अपराधी मध्य प्रदेश को आसान टारगेट बना लिया है और लगातार ठगी को अंजाम दे रहे हैं। इसके प्रमाण प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे साइबर ठगी के मामले है। आकंड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में डिजिटल ठगी के मामलों में 130 फीसदी वृद्धि है, जो बेहद चौंकाने वाले हैं। साइबर अपराधी लगातार मप्र में साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं। साइबर ठगों के लिए आसान टारगेट बनकर उभरे मप्र में साइबर ठग  भिन्न-भिन्न तरीकों से अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इनमें डिजिटल अरेस्ट का उनका नया हथियार है, जिसके जरिए वो राजधानी भोपाल में कई घटनाओं कों अंजाम दे चुके हैं।

 2024 में साइबर ठगी के 26 केस दर्ज
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किए गए साइबर ठगी का आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2024 में प्रदेश में साइबर ठगी के 26 मामले दर्ज किए गए और 12.60 करोड़ की ठगी की गई। पुलिस ने 38 लोगों को गिरफ्तार किया था और करीब 73 लाख की रिकवरी की थी। साल 2023 में साइबर ठगी का सिर्फ 1 केस सामने आया था और 96,968 की ठगी की गई थी। 2023 में मप्र में साइबर फ्रॉड से जुड़े 444 मामले दर्ज हुए, जिनमें 44.26 करोड़ का नुकसान हुआ, जबकि साल 2024 में मामलों की संख्या बढक़र 521 हो गई, यानी प्रदेश में साइबर हमलों की तादाद में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और नुकसान बढक़र 93.60 करोड़ तक पहुंच गया, जो 111 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। मप्र में साल 2024 में हुए साइबर फ्रॉड से कुल 93.60 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था, जबकि साल 2023 में महज 44.26 करोड़ का नुकसान हुआ था। इस तरह साल 2023 की तुलना में साल 2024 में साइबर मामलों में 17 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है और प्रभावितों में सबसे अधिक लोग राजधानी भोपाल और आर्थिक राजधानी इंदौर से थे।

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