मध्यप्रदेशराज्य

ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना से बनने लगी बिजली

देश की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर ऊर्जा परियोजना का लोकार्पण…ओंकारेश्वर जलाशय में बनाया गया है 600 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट

भोपाल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना का वर्चुअली लोकार्पण किया। केंद्र सरकार की अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क (यूएमआरईपीपी) योजना के तहत सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और मप्र ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के संयुक्त उद्यम द्वारा ओंकारेश्वर जलाशय में 600 मेगावाट का ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट दो चरणों में स्थापित किया जा रहा है। यह परियोजना देश की सबसे बड़ी फ्लोटिंग पीवी प्लांट और दुनिया के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर इंस्टालेशन में से एक है। पहले चरण में यहां तीन कंपनियों द्वारा 278 मेगावाट प्रदूषण मुक्त बिजली का व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ कर दिया हैं।
ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर स्थित पानी पर तैरता सौर ऊर्जा पावर हाउस के प्रथम चरण में 278 मेगावाट हरित ऊर्जा का व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ हो गया है। इससे मध्य प्रदेश को सस्ती और प्रदूषण मुक्त बिजली मिलने लगी है। यहां एनएचडीसी 88 मेगावाट, एएमपी एनर्जी 100 मेगावाट तथा एसजेवीएन 90 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2030 तक देश में 5000 गीगावाट गैर परंपरागत ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य का आह्वान किया गया हैं। इस दिशा में जिले की पुनासा तहसील में बैकवाटर पर स्थापित यह सोलर परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम है।

एक साल में 204.58 मिलियन यूनिट का लक्ष्य
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली एमपीपीजीसीएल को बेची जा रही है। इसके लिए बैकवाटर किनारे ग्राम सत्तापुर में 33 केवीए क्षमता का पावर सबस्टेशन व कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां 100-100 मेगावाट क्षमता के चार ट्रांसफार्मर लगाए है। जो 33 केवीए को 220 केवीए में परिवर्तित कर यहां से मध्य प्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी के छैगांवमाखन सबस्टेशन को बिजली की आपूर्ति कर रहा है। इस परियोजना से एक साल में 204.58 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली का उत्पादन होगा। ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर जलाशय में 207.4 हेक्टेयर क्षेत्र में सोलर पैनल लगाए गए है।

सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लाभ
सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी होती है। हर किलोवाट घंटे में करीब 50 ग्राम कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ-2) की बचत होती है। कोयले से बिजली बनाने की तुलना में करीब 20 गुना कम कार्बन उत्सर्जन होता है। कोयले से बिजली बनाने की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में 80 प्रतिशत की कटौती होती है। कार्बन उत्सर्जन में इतनी काफी कमी होती है कि सौर पैनल लगाने के तीन साल के अंदर ज्यादातर सौर पैनल कार्बन तटस्थ हो जाते हैं। कार्बन उत्सर्जन में इतनी कमी होती है कि यह 432 गैलन गैस के कार्बन उत्सर्जन के बराबर होती है। यह कार्बन उत्सर्जन लगभग एक साल के लिए कार को सडक़ से हटाने जैसा होता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button