राजनीती

पांच साल में कितनी बदली दिल्ली की सियासत?: CM से डिप्टी सीएम तक जेल गए

दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सियासी हलचल तेज हो चुकी है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने सोमवार को उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी और पार्टी ने अब तक कुल 31 उम्मीदवार तय कर दिए हैं। आप ने अपनी दोनों सूचियों में हाल ही में आए दूसरे दलों से आए नेताओं को भी मौका दिया है। उधर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपनी चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने हाल ही में दिल्ली न्याय यात्रा निकाली। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने भी सभी विधानसभा क्षेत्रों में परिवर्तन यात्रा निकालने का एलान किया है। 
पांच साल में दिल्ली कई सियासी उठापटक का गवाह रही है। दो चेहरों ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जहां एक ओर मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद जेल से सरकार चलाई गई तो दूसरी ओर कुछ मंत्रियों ने दल बदल लिया। अब वो विपक्षी दलों के साथ हैं। इन तमाम घटनाक्रमों के केंद्र में कथित शराब घोटाला भी रहा। इसी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फंसे हैं। जेल से जमानत मिलने के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री का पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी कैबिनेट में मंत्री रहीं आतिशी को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली। 
आइये जानते हैं कि राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे कैसे रहे थे? चुनाव के बाद राज्य की राजनीति कितनी बदली? किन मंत्रियों ने पार्टी छोड़ी? सरकार का रूप कितना बदला? अभी कैसी स्थिति है? पार्टियों ने चुनाव की तैयारी कैसे की है? 

 
पहले जानते हैं पिछली बार विधानसभा चुनाव कब हुए थे?
चुनाव आयोग ने 7 जनवरी 2020 को पिछली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थी। कार्यक्रम के तहत 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए 8 फरवरी 2020 को मतदान हुआ था। इसमें कुल 62.59% फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। नतीजे 11 फरवरी 2020 को घोषित किए गए थे। 

पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे कैसे थे?
फरवरी 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप ने प्रचंड जीत दर्ज की थी। पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। आप को सबसे ज्यादा 53.57% वोट मिले थे। वहीं, भाजपा के आठ विधायक चुने गए थे और इसका का वोट प्रतिशत 40.57% रहा। इसके अलावा कांग्रेस 2015 की तरह कांग्रेस 2020 में भी खाली हाथ रही। उसे महज 4.63% वोट ही मिले। नतीजों के बाद 16 फरवरी 2020 को अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार दिल्ली की सत्ता संभाली। 

नतीजों के बाद क्या-क्या हुआ?
आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए इसका तीसरा कार्यकाल चुनौतियों भरा रहा। इसके केंद्र में कथित शराब घोटाला रहा। दरअसल, कोरोना काल के बीच दिल्ली सरकार ने 'दिल्ली आबकारी नीति 2021-22' लागू की थी। इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, नई शराब नीति को बाद में इसे बनाने और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया।आप के लिए मुश्किलें यही तक नहीं थीं और अगस्त 2022 में शराब नीति मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली। आप नेताओं समेत 15 आरोपियों के खिलाफ नियमों के कथित उल्लंघन और नई शराब नीति में प्रक्रियागत गड़बड़ी के आरोप में यह मामला दर्ज किया गया था। बाद में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के संबंध में ईडी ने पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच शुरू कर दी। 

विवादों में फंसे मंत्री का इस्तीफा 
अक्तूबर 2022 में आप सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम विवादों में फंस गए जब उन्होंने एक कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। भाजपा नेताओं ने मंत्री के भाषण की आलोचना की और उनके खिलाफ कानूनी शिकायतें कीं। इसके बाद 9 अक्तूबर 2022 को उन्होंने कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। उस वक्त राजेंद्र ने कहा था, 'मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से मेरे नेता केजरीवाल और मेरी पार्टी को किसी भी तरह का नुकसान हो।' हालांकि, सितंबर 2024 में दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और एक प्रमुख दलित नेता राजेंद्र पाल गौतम कांग्रेस में शामिल हो गए। 

शुरू हुआ आप नेताओं की गिरफ्तारी का दौर 
मई 2022 में ईडी ने दिल्ली के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन को मनी-लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया। फरवरी 2023 में शराब नीति मामले में सीबीआई ने दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया। फरवरी 2023 के अंत में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन दोनों ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 

संकट के बीच आतिशी-सौरभ को मिला मंत्री पद
कई विभाग संभालने वाले दो मंत्रियों की गिरफ्तारी से आप सरकार संकट में दिखाई देने लगी। इस बीच मार्च 2023 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने कैबिनेट विस्तार किया और दो विधायकों सौरभ भारद्वाज और आतिशी को मंत्री पद की जिम्मेदारी थमाई। सौरभ को स्वास्थ्य तो आतिशी को शिक्षा के साथ कई अहम विभागों का भी प्रभार दिया गया। इसके बाद सरकार के कुछ विभागों में फेरबदल किए गए।

संजय-केजरीवाल भी गिरफ्तार 
अक्तूबर 2023 में दिल्ली शराब घोटाले में ईडी ने आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया। आप के लिए झटके कम नहीं हुए और लोकसभा चुनाव 2024 से पहले तब बहुत बड़ा झटका लगा जब इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हो गए। मार्च 2024 में शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी कर ली। 

शराब घोटाले के विरोध में मंत्री का इस्तीफा
पार्टी नेताओं पर हो रही लगातार कार्रवाई के बीच दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद ने पार्टी को अलविदा कह दिया। राजकुमार ने आबकारी नीति घोटाले का विरोध करते हुए अप्रैल 2024 में मंत्री पद और आम आदमी पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया। वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मई 2024 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए। हालांकि, जुलाई 2024 में पूर्व मंत्री भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन, फिर भी सफलता नहीं 
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए आप ने दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। समझौते के तहत आप ने चार सीटों- नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली- पर उम्मीदवार उतारे, जबकि कांग्रेस चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली में उम्मीदवार खड़े किए। चुनाव के बीच ही सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत दे दी। इसके बाद अपने मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को आप ने चुनावी मुद्दा बनाया और 'जेल का जवाब वोट से' नामक अभियान चलाया।

25 मई 2024 को दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर मतदान कराया गया जबकि नतीजे 4 जून को आए। लगातार तीसरी बार दिल्ली में लोकसभा चुनाव में कुछ नहीं बदला और भाजपा ने इस बार भी सभी सात सीटें जीत लीं। गठबंधन के बावजूद आप-कांग्रेस को कोई सफलता नहीं मिली। 
एक-एक कर छूटे आप नेता
एक समय ऐसा भी था जब आप के बड़े-बड़े नेता जेल में थे तो वहीं 2024 में तमाम नेताओं को जमनत भी मिल गई। छह महीने जेल में रहने के बाद मार्च 2024 में आप सांसद संजय सिंह को जमानत मिल गई। 17 महीने जेल में रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अगस्त 2024 में जेल से बाहर आ गए। 23 महीने के बाद आप के पूर्व मीडिया प्रभारी विजय नायर को सितंबर 2024 में राहत मिली। इसके बाद करीब पांच महीने जेल में रहे आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी जमानत मिल गई। दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल में बंद केजरीवाल 13 सितंबर 2024 को बाहर आ गए। 

जेल से बाहर आते ही केजरीवाल ने सीएम पद छोड़ा
जेल से बाहर आने के दो दिन बाद ही 15 सितंबर को केजरीवाल ने सीएम पद छोड़ने एलान कर सभी को चौंका दिया। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 18 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। आप मुखिया ने कहा, जब तक लोग उन्हें ईमानदारी का प्रमाण-पत्र नहीं दे देते, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। उधर विधायक दल की बैठक बुलाई गई, जिसमें नए सीएम के रूप में पर आतिशी के नाम का एलान हुआ। आतिशी ने पांच कैबिनेट मंत्रियों के साथ 21 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नई सरकार में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, मुकेश अहलावत और इमरान हुसैन मंत्री बनाए गए।

चुनाव से पहले एक और मंत्री का इस्तीफा
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने 18 नवंबर को आप की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने से पहले कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। केजरीवाल को लिखे पत्र में गहलोत ने कहा कि पार्टी ने दिल्ली की जनता से जो वादे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया गया। यमुना को साफ करने का सपना पूरा नहीं हो पाया। यमुना अब पहले से ज्यादा प्रदूषित हो गई। इसके अलावा शीशमहल (मुख्यमंत्री आवास) जैसे कई अजीबोगरीब विवाद सामने आए। इसने पार्टी की छवि खराब हुई। बाद में गहलोत भाजपा में शामिल हो गए।

अभी क्या हाल है?
दिल्ली की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 15 फरवरी 2025 को खत्म होने वाला है। लिहाजा सभी 70 सीटों के लिए 2025 दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी 2025 या उससे पहले हो सकते हैं। आप 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो सूची जारी कर चुकी है जिसमें कुल 31 नाम हैं। उधर आम आदमी पार्टी ने रेवड़ी पर चर्चा अभियान शुरू किया है। इसके अलावा मंगलवार (10 दिसंबर) को अरविंद केजरीवाल की ऑटोवालों के लिए पांच गारंटियों का एलान किया है। इसके तहत दिल्ली में दोबारा आम आदमीं पार्टी की सरकार बनने पर सभी ऑटो वाले का 10 लाख रुपये तक का जीवन बीमा और पांच लाख का एक्सीडेंट इंश्योरेंस, बेटी की शादी में एक लाख रुपये की सहायता, वर्दी के लिए साल में दो बार 2500 रुपये और बच्चों की कोचिंग का खर्चा सरकार उठाएगी।उधर विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए आयोजित कांग्रेस ने दिल्ली न्याय यात्रा निकाली। दिल्ली न्याय यात्रा का आयोजन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तर्ज पर किया गया था। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने 8 नवंबर को राजघाट से इस यात्रा की शुरुआत की थी और 7 दिसंबर को रोहिणी में समापन से पहले इसने सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया। अपनी दिल्ली न्याय यात्रा के दौरान ही प्रदेश कांग्रेस निम्न मध्यम आय वर्ग के मतदाताओं से अपील करने के लिए कई वादे किए। प्रमुख वादों में मुफ्त बिजली इकाइयों को दोगुना करना, पुनर्वास कॉलोनियों में मकान मालिकों को संपत्ति का अधिकार देना और ऑटो रिक्शा लाइसेंसों का नवीनीकरण करना शामिल है।वहीं, दिल्ली की प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने भी चुनाव से पहले अपनी रणनीति का एलान कर दिया है। पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 'अब नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे' नाम से नारा दिया है। दिल्ली भाजपा ने कहा है कि यदि इस बार पार्टी दिल्ली में सत्ता में आती है तो दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को पक्के मकान दिए जाएंगे। भाजपा ने परिवर्तन यात्रा निकालने की भी घोषणा की है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि इसमें डबल इंजन वाली सरकार के फायदे लोगों को बताए जाएंगे। जनता के बीच पहुंचकर आप के झूठ का भी खुलासा किया जाएगा।

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