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गिरफ्तारी वारंट के बाद इजरायली पीएम नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ीं, कहां-कहां हो सकते हैं अरेस्ट?…

गाजा, ईरान समेत कई देशों के साथ लड़ रहे इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया है। इससे उनके विदेशों के दौरे पर दिक्कतें आ सकती हैं।

कई ऐसे देश हैं, जहां पर अगर नेतन्याहू जाते हैं तो उनकी गिरफ्तारी तक हो सकती है। इनमें ज्यादातर ऐसे देश हैं, जो इजरायल की चल रही जंग में उसके खिलाफ हैं।

इटली ने आईसीसी के ऑर्डर के बाद कहा है कि वह कोर्ट के नियमों का पालन करने और नेतन्याहू को गिरफ्तार करने के लिए बाध्य होगा। यूरोपीय यूनियन के कई अन्य देशों ने भी इसी तरह का रुख अपनाया है।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य इटली ने गिरफ्तारी वारंट का पालन करने के अपने कानूनी दायित्व को बताया है। रक्षा मंत्री गुइडो क्रोसेटो ने स्वीकार किया कि इटली को नेतन्याहू को गिरफ्तार करना होगा यदि वह इतालवी क्षेत्र में प्रवेश करते हैं।

हालांकि, क्रोसेटो ने यह भी कहा कि नेतन्याहू और इजरायल के पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को हमास के समान स्तर पर रखना आईसीसी का तरीका ठीक नहीं है।

वहीं, फ्रांस ने सतर्कतापूर्ण लहजा अपनाया और आईसीसी के स्वतंत्र कार्य के प्रति सम्मान दिखाया, लेकिन यह पुष्टि नहीं कि क्या वह नेतन्याहू को गिरफ्तार करेगा या नहीं।

अगर नेतन्याहू तुर्कीए की यात्रा करते हैं तो उनके लिए मुश्किल हो सकती है। तुर्किए के विदेश मंत्री हकन फिदान ने कहा कि आईसीसी गिरफ्तारी वारंट फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार करने वाले इजरायली अधिकारियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए एक आशाजनक और महत्वपूर्ण कदम है।

फिदान ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना जारी रखेंगे कि नरसंहार को दंडित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून लागू किया जाए।” वहीं, ब्रिटेन ने कहा कि वह आईसीसी की स्वतंत्रता का सम्मान करता है।

वहीं, फ्रांस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिस्टोफ लेमोइन ने एक बयान में कहा, “फ्रांस इस फैसले पर ध्यान देता है। अंतरराष्ट्रीय न्याय का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, वह रोम संधि के अनुसार न्यायालय के स्वतंत्र कार्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है।”

लेमोइन ने आईसीसी के वारंट को अंतिम फैसले के बजाय एक प्रक्रियात्मक औपचारिकता बताया। वहीं, दूसरी ओर हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने कोर्ट के फैसले को खुले तौर पर खारिज कर दिया और इसे गलत करार दिया। नेतन्याहू को हंगरी आने पर सुरक्षित यात्रा की गारंटी देने की पेशकश की।

स्लोवेनिया ने कोर्ट के गिरफ्तारी वारंट पर कहा कि वह पूरी तरह से पालन करेगा। प्रधानमंत्री रॉबर्ट गोलोब ने फिलिस्तीन के लिए अपने समर्थन को मजबूत करते हुए अंतर्राष्ट्रीय न्याय को बनाए रखने के स्लोवेनिया के इरादे की पुष्टि की।

वहीं, यूरोपीय यूनियन के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा कि आईसीसी के निर्णयों को लागू करना राजनीतिक विकल्प के बजाय कानूनी दायित्व है।

इस बीच, अमेरिका जैसे गैर-यूरोपीय संघ के देशों ने आईसीसी की आलोचना की। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वारंट को अपमानजनक बताया और इजरायल के लिए अटूट समर्थन पर जोर दिया।

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