रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि आज जो कांग्रेसी संविधान बचाने के नाम पर देशभर में शोर मचाते घूम रहे हैं, उनके राजनीतिक चरित्र का सच यह है कि उन्होंने संविधान को हर मौकों पर ताक पर रखा और महज राजनीतिक विरोध के चलते भाजपा और दीगर गैर-कांग्रेसी सरकारों को मनमाने ढंग से बर्खास्त करने में कोई हिचक नहीं दिखाई। श्री श्रीवास्तव ने 06 दिसंबर, 1992 को देश के संविधान और लोकतंत्र को लहूलुहान करने के लिए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। भाजपा प्रदेश महामंत्री ने शुक्रवार को एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में आहूत प्रेस ब्रीफ में कहा कि आज जिस निर्लज्जता के साथ कांग्रेस संविधान और लोकतंत्र की दुहाई दे रही है, उस कांग्रेस ने एक तो संवैधानिक ढाँचे को तहस-नहस करते हुए साम्प्रदायिक तुष्टीकरण की सबसे गंदी मिसाल पेश की, दूसरे लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की भाजपा की चार राज्य सरकारों को रातो-रात बर्खास्त करके लोकतंत्र की खुलेआमहत्या तक की थी जिसे बाद में जबलपुर हाई कोर्ट ने अवैध ठहराया था। हालांकि निर्णय आते तक विधानसभा का कार्यकाल भी समाप्त हो गया था। भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री श्रीवास्तव ने कहा कि इससे भी अधिक शर्मनाक तो यह है कि बाबरी ढाँचा ढहने के अगले दिन 07 दिसम्बर, 1992 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हाराव ने संसद में कहा था कि मस्जिद को गिराना बर्बर कार्य था, हमारी सरकार इसका पुनर्निर्माण करवाएगी। यह संविधान की भावनाओं के एकदम विपरीत था। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस ने श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मस्जिद बनाने का वादा किया हुआ है। आज ही के दिन श्री अयोध्याजी में विवादास्पद ढाँचा ढहने के बाद कांग्रेस ने बिना कारण उत्तर प्रदेश के अलावा तीन अन्य भाजपा सरकारों को बर्खास्त कर संविधान का गैर-विवादास्पद ढांचा ढहा दिया था । भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री श्रीवास्तव ने कहा तथ्य यह है कि आज तक कांग्रेस ने उस बयान को वापस नहीं लिया है और इसके लिए देश से माफी भी नहीं मांगी है। यह वैसा ही वादा है जैसा कांग्रेसनीत इंडी गठबंधन का अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने का वादा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि तथ्य यह चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा है कि कांग्रेस इन दोनों वादों के प्रति प्रतिबद्ध है। बस, उसे समय की प्रतीक्षा है। कांग्रेस के ऐसे घोर असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक कृत्यों और साम्प्रदायिक तुष्टीकरण से भरे पड़े राजनीतिक चरित्र व इतिहास को देश को सदैव स्मरण रखना चाहिए।
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