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हाईवे पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई न होने पर सरकार ने दी सफाई

राष्ट्रीय राजमार्गों पर अनधिकृत कब्जों और अतिक्रमण के बढ़ते मामलों से चिंतित सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने निरीक्षण और निगरानी और इन कब्जों को तत्काल हटाने की नई योजना अपनी एजेंसियों के साथ ही राज्य सरकारों के साथ साझा की है। इसके तहत निरीक्षण करने वाले अधिकारी के लिए अवैध कब्जों की रिपोर्टिंग और उन पर कार्रवाई का पूरा ब्यौरा देना अनिवार्य किया गया है।

कार्रवाई में अवैध कब्जे के कारण हुए नुकसान की वसूली शामिल है। यह कदम एक ऐसे समय उठाया गया है जब केंद्र सरकार ने पिछले दिनों संसद में बताया है कि पिछले तीन वर्षों में हाईवे पर अतिक्रमण के मामलों में न तो कोई कार्रवाई की जा सकी और न ही एक रुपये का जुर्माना वसूला जा सका। इसके साथ ही सरकार ने एक अलग सवाल के जवाब में यह भी स्वीकार किया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर और उनके किनारे रिबन डेवलपमेंट के रूप में अनधिकृत कब्जों, पार्किंग, अतिक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।

तीन साल में अवैध कब्जे पर नहीं हुआ एक भी केस
अब इस समस्या से निपटने के लिए मंत्रालय ने राज्यों के मुख्य सचिवों और लोक निर्माण विभाग के मुख्य इंजीनियरों के साथ ही अपनी एजेंसियों को भेजी गई चिट्ठी में कहा है कि कंट्रोल आफ नेशनल हाइवेज (लैंड एंड ट्रैफिक) 2002 में एनएचएआइ के सभी परियोजना निदेशकों औऱ राज्यों में पीडब्ल्यूडी के प्रमुखों को हाईवे प्रशासन का अधिकार दिया गया है।

राष्ट्रीय राजमार्गों को अनधिकृत कब्जों से मुक्त रखना जरूरी है और इसके लिए यह फैसला किया गया है कि निरीक्षण में कब्जे की प्रकृति और उसकी गंभीरता भी बतानी होगी। इसके बाद उसे हटाने की कार्रवाई की जाएगी। हाईवे प्रशासन को भी हर दो महीने में अवैध कब्जे और अतिक्रमण की जांच के लिए राजमार्गों के निरीक्षण के लिए कहा गया है, जबकि मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय को यह काम हर महीने करना है।

अतिक्रमण की शुरुआत होती है तो उसे तुरंत रिपोर्ट करेंगे
इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी व्यवस्था की है कि उसकी एजेंसियां और उससे जुड़े ठेकेदार प्रोजेक्ट की पूरी लंबाई पर लगातार निगाह रखेंगे और यदि किसी अवैध कब्जे अथवा अतिक्रमण की शुरुआत होती है तो उसे तुरंत रिपोर्ट करेंगे। ईपीसी, बीओटी और हाइब्रिड एनुइटी यानी सभी तरह की परियोजनाओं से जुड़े ठेकों में कब्जे होने से रोकना, उसकी खबर देना और अंतत: उसे हटाना एक अनिवार्य प्रावधान है। मंत्रालय ने इसके साथ ही अवैध कब्जेदारों को दिया जाने वाले नोटिस, क्षतिपूर्ति के बिल और वसूली के प्रमाणपत्र के फार्मेट भी साझा किए हैं।

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